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बाल श्रमिक विद्या योजना : 2000 बाल मजदूरों को CM योगी की सौगात

कामकाजी बच्चों की तकदीर बदलने के लिए बाल श्रमिक विद्या योजना के रूप में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने एक नयी पहल की है।

बाल मजदूरों की शिक्षा का पुख्ता बन्दोबस्त

उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकारने कामकाजी बच्चों को स्कूल भेजने और उनके परिवारों की मदद के लिए बाल श्रमिक विद्या योजना (bal shramik vidya yojana) शुरू की है।

बाल मजदूरों व उनके परिवारों के सभी खर्च उठायेगा श्रम विभाग

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बाल श्रमिक विद्या योजना (BSBY) के रूप में बाल श्रमिकों को बहुत बड़ा तोहफा दिया है। इससे उनकी जिन्दगी बदल सकती है। उन्होंने शुक्रवार को लखनऊ में अपने सरकारी आवास पर से वीडियो कान्फ्रेंसिंग के जरिये बाल श्रमिक विद्या योजना का उद्घाटन किया।

इस आलेख में हम आपको यह बतायेंगे कि जिन बच्चों के हाथों में कलम थामने की उम्र में मां-बाप की मजबूरियां थमा दी गयीं, उनकी जिन्दगी बदलने के लिए शुरू की गयी बाल श्रमिक विद्या योजना का स्वरूप क्या है? कौन-से बच्चे इसका फायदा उठाने के लिए पात्र हैं? उन्हें क्या-क्या सहूलियतें मिलेंगी? …और यह भी बतायेंगे कि कितने बच्चे इस योजना का फायदा पायेंगे? हम आगे बढ़ें, इससे पहले आइये हम यह जानते हैं कि इस मौके पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने क्या कहा?

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वीडियो कान्फ्रेंसिंग के जरिये बाल श्रमिक विद्या योजना का उद्घाटन करते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि 8-18 वर्षों तक के सभी बच्चों को जिन्हें स्कूल में होना चाहिए, लेकिन खराब पारिवारिक परिस्थितियों के कारण कुछ को अपने परिवार के भरण-पोषण के लिए बाल श्रम करना पड़ता है। ऐसे बच्चों के लिए उत्तर प्रदेश में आज एक नई योजना ‘बाल श्रमिक विद्या योजना’ प्रारंभ की जा रही है।

मुख्यमंत्री योगी ने यह भी कहा कि पारिवारिक खर्चे पूरे करने के लिए जो बच्चे बचपन में ही मजदूरी करने को मजबूर होते हैं, न केवल उनके शारीरिक व मानसिक विकास पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है, बल्कि इससे समाज और राष्ट्र की भी अपूरणीय क्षति होती है। देश में बच्चों की बड़ी संख्या पारिवारिक हालात के कारण श्रम करने के लिए मजबूर है। इन सबके लिए समय-समय पर सरकारों ने कदम उठाये हैं, लेकिन इसके बावजूद यह महसूस किया गया कि बहुत बच्चे ऐसे हैं जो मजबूरी में बालश्रम करते हैं।

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बाल श्रम निषेध दिवस के अवसर पर बाल श्रमिक विद्या योजना की शुरुआत कर उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने यह संदेश देने की कोशिश की है कि वह बाल श्रम के प्रति जीरो टॉलरेंस की नीति पर कार्य कर रही है। कामकाजी बच्चों को बड़ी सौगात मानी जा रही इस योजना के माध्यम से योगी सरकार ने बाल श्रम उन्मूलन की दिशा में निर्णायक कदम उठाया है।

बाल श्रमिक विद्या योजना की शुरुआत करते मुख्यमंत्री ने योगी आदित्यनाथ।

बाल श्रमिक विद्या योजना का स्वरूप क्या है?
कौन-से बच्चे इसका फायदा उठाने के लिए पात्र हैं?
उन्हें क्या-क्या सहूलियतें मिलेंगी?
उनकी पढ़ाई का पढ़ाई का पैटर्न कैसा होगा?
कामकाजी बच्चों के माता-पिता के लिए सरकार क्या करेगी?
कितने बच्चे इस योजना का फायदा पायेंगे?

बाल श्रमिक विद्या योजना का स्वरूप क्या है?

यह योजना बाल श्रमिकों को फिर से स्कूल भेजने और इसके लिए आर्थिक मदद देने के उद्देश्य से शुरू की गयी है। इस लक्ष्य को हासिल करने के उद्देश्य से उत्तर प्रदेश का श्रम विभाग बाल श्रमिकों के लिए पहले कैश ट्रांसफर योजना चला रहा था। इस योजना के माध्यम से लाभार्थी बाल श्रमिकों को सालाना 8000 रुपये और हर महीने 100 रुपये की छात्रवृत्ति दी जाती थी। मूल्यांकन के बाद योगी आदित्यनाथ सरकार ने इस योजना में बदलाव किया है। अब इसे बाल श्रमिक विद्या योजना (बीएसबीवाई-BSBY) नाम दिया है। इसके तहत मानधन, प्रोत्साहन राशि और स्कालरशिप दी जायेगी।

कौन-से बच्चे इसका फायदा उठाने के लिए पात्र हैं?

किसी भी योजना का फायदा उठाने के लिए सबसे पहले पात्रता जानना जरूरी है। तो आइये, योजना के बारे में आपको कुछ बी और बताने से पहले बताते हैं कि बाल श्रमिक विद्या योजना का फायदा कौन से बच्चे उठा सकते हैं।

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बाल श्रमिक विद्या योजना का लाभ देने के लिए पांच श्रेणियां तय की गयी हैं। इन श्रेणियों के 8 से 18 वर्ष के बच्चों को सरकार मानधन, प्रोत्साहन राशि और स्कालरशिप देगी। ये श्रेणियां इस प्रकार हैंः

इन बच्चों को इन पांच स्थितियों के कारण बनना पड़ता था बाल श्रमिक।

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चुने गये बच्चों को क्या-क्या सहूलियतें मिलेंगी?

स्कॉलरशिप भी : इसके साथ ही बाल श्रमिक विद्या योजना का लाभ देने के लिए चुने गये इन सभी बच्चों को उन सभी स्कॉलरशिप योजनाओं का लाभ भी मिलेगा जो सरकार द्वारा सामान्य छात्र/छात्राओं के लिए चलायी जा रही हैं।

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बनेंगे अटल आवासीय विद्यालय : रजिस्टर्ड श्रमिकों के बच्चों और इन पांच श्रेणियों के बच्चों के लिए प्रदेश के सभी 18 मंडलों में एक-एक अटल आवासीय विद्यालय का निर्माण किया जायेगा।

अटल आवासीय विद्यालयों में बच्चों के रहने और खाने के साथ-साथ पढ़ाई की होगी अत्याधुनिक व्यवस्था।

कामकाजी बच्चों के माता-पिता के लिए सरकार क्या करेगी?

यह तो तय है कि परिवार की स्थितियां ही बच्चों को बाल-श्रम के अंधे कुएं में धकेल देती हैं। इसलिए योगी आदित्यनाथ सरकार ने बच्चों को स्कूलों में भेजने, उनकी पढ़ाई का बन्दोबस्त करने और प्रोत्साहित करने के साथ उनके परिवार की माली हालत सुधारने पर जोर दिया है। बाल श्रमिक विद्या योजना के तहत चुने गये सभी पांच श्रेणियों के बाल श्रमिकों के माता-पिता को सभी तरह की सरकारी योजनाओं, जैसे- विधवा पेंशन, दिव्यांग पेंशन, वृद्धावस्था पेंशन, राशन कॉर्ड, आवास सुविधा, बीमा- का लाभ भी दिया जायेगा।
इससे बच्चे घर की आर्थिक स्थिति की चिन्ता किये बगैर मन लगाकर पढ़ पायेंगे और अभिभावकों के पास भी उनको फिर से मजदूरी के लिए भेजने की कोई वजह नहीं रहेगी।

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अटल आवासीय विद्यालयों में ऐसा होगा पढ़ाई का पैटर्न

बाल श्रमिक विद्या योजना में चयनित कामकाजी बच्चों को जिन अटल आवासीय विद्यालयों में प्रवेश दिया जायेगा, वहां पढ़ाई का पैटर्न इस प्रकार होगाः

कितने बच्चे बाल श्रमिक विद्या योजना का फायदा पायेंगे?

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने योजना की शुरुआत करते हुए बताया कि बाल श्रमिक विद्या योजना के पहले चरण में 2000 बच्चे शामिल किए जाएंगे। इन बच्चों का चयन उन जिलों से किया गया है, जहां 2011 की जनगणना में प्रदेश में सर्वाधिक बाल मजदूर पाये गये थे।

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आगे आपको बता दें कि आगामी वर्ष से इस योजना का और विस्तार किया जायेगा। खुद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपने सम्बोधन में कहा- ‘2,000 बच्चे इस वर्ष (बाल श्रमिक विद्या योजना में) लाभान्वित होंगे। अगले वर्ष से अटल आवासीय विद्यालय भी आगे बढ़ जाएंगे।’ इसका अर्थ यह हुआ कि अगले वर्ष से बाल श्रमिक विद्या योजना में इससे ज्यादा संख्या में बाल श्रमिक लाभान्वित होंगे।

वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से बाल श्रमिक विद्या योजना की शुरुआत करते मुख्यमंत्री ने योगी आदित्यनाथ।

बाल श्रमिक विद्या योजना की शुरुआत दूरदर्शिता भरा फैसला

बच्चों को स्कूलों में दाखिला दिलाने के साथ उनके माता-पिता की मदद करने का फैसला बहुत दूरदर्शिता भरा है। इसे हम बच्चों के हित में काम करने वाली संस्था चाइल्ड राइट एंड यू (क्राइ-CRY) के एक अध्ययन के निष्कर्षों से समझ सकते है। यह अध्ययन बताता है “जो बच्चे घरेलू कामकाज में लगे हैं, वे ज्यादा लम्बे समय तक काम करते हैं और साथ में उन्हें स्कूल भी जाना होता है। इससे उन पर शारीरिक और मानसिक दबाव पड़ सकता है। परिणामस्वरूप इससे उनकी उपस्थिति प्रभावित होती है। स्कूल के बाद खेलने के समय और सामाजिक जुड़ाव में कमी की वजह से बच्चा स्कूल छोड़ने को मजबूर हो सकता है।” इस तरह माता-पिता को भी सरकारी योजनाओं का लाभ दिलाकर बच्चों के स्कूल भेजे जाने की मानसिकता भी तैयार की गयी है।

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