मुख्यमंत्री कृषक दुर्घटना सहायता योजना में कैसे मदद पायें?
मुख्यमंत्री कृषक दुर्घटना सहायता योजना | कृषक दुर्घटना सहायता योजना | कृषक दुर्घटना सहायता | मुख्यमंत्री कृषक दुर्घटना सहायता | उत्तर प्रदेश मुख्यमंत्री कृषक दुर्घटना सहायता योजना
देश का पेट पालने के लिए किसान जब खेत में उतरता है तो उसका सामना फसल की उम्मीद से पहले हादसों की आशंका से होता है। खेती के दौरान बैल बिदक जायें और कोई हादसा हो जाये, आकाशीय बिजली गिरे और कोई दुर्घटना हो जाये, कृषि उपकरणों के इस्तेमाल के दौरान कोई अनहोनी हो जाये… इन हादसों में किसान की जान भले ही न जाये, लेकिन सिर्फ अंग-भंग भी हो जाये तो उसका परिवार सडक़ पर आ जाता है। किसानों की इन दुर्घटनाओं पर उसके परिवार को आर्थिक सहायता देने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार ने मुख्यमंत्री कल्याणकारी योजनाएं संचालित की हैं। इन्हीं में से एक है मुख्यमंत्री कृषक दुर्घटना सहायता योजना। इस आलेख मेंं हम आपको यही बतायेंगे कि मुख्यमंत्री कृषक दुर्घटना सहायता योजना क्या है, इसकी जरूरत क्यों पड़ी, और इसके तहत कैसे सहायता पायी जा सकती है?
यह भी पढ़ें :
दिव्यांग पेंशन (divyang-pension) योजना का ऐसे उठाएं लाभ, करें ऑनलाइन आवेदन
मुख्यमंत्री कृषक दुर्घटना सहायता योजना क्या है?
किसान जब खेती करता है तो उसके साथ कोई भी हादसा हो सकता है। इन हादसों में बहुत बार किसानों की मौत हो जाती है, तमाम बार किसान इस कदर घायल होता है कि जिन्दगी भर के लिए काम करने लायक नहीं रहता, बहुत बार खेती के एक-दो सीजन के लिहाज से अस्थायी विकलांगता का शिकार हो जाता है। यह सब न भी हो और किसान की कड़ी मेहनत से तैयार की गई फसल में यदि किसी दुर्घटनावश आग लग जाये तो किसान का परिवार असहाय स्थिति में पहुंच जाता है। किसानों को ऐसी विपरीत स्थितियों से निकाल कर जिन्दगी की गाड़ी को फिर से पटरी पर लाने के लिए उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने ‘मुख्यमंत्री कल्याणकारी योजनाएं’ संचालित की हैं। राज्य कृषि उत्पादन मण्डी परिषद द्वारा संचालित इन योजनाओं से मण्डी समितियों के माध्यम से हजारों किसान लाभान्वित हो रहे हैं।
यह भी पढ़ें :
कुसुम योजना : खाली जमीन पर सौर ऊर्जा प्लांट लगाकर करें कमाई
दोस्तों, प्रदेश सरकार ने ये योजनाएं किसी एक क्षेत्र या वर्ग के लिए नहीं, बल्कि उत्तर प्रदेश के समस्त कृषकों, खेतिहर मजदूरों एवं मण्डी पल्लेेदारों जो केवल कृषि अथवा कृषि से सम्बंधित कार्य में संलग्न हैं, के लिए चलायी हैं। इन सभी को ‘मुख्यमंत्री कृषक दुर्घटना सहायता योजना’ के अन्तर्गत आच्छादित किया गया है।
किसान की मौत पर कृषक दुर्घटना सहायता योजना में मिलेंगे 3 लाख
इस योजनान्तर्गत कृषि व कृषि से सम्बंधित कार्य करते समय यदि किसान की किसी दुर्घटना में मृत्यु हो जाती है तो ‘मुख्यमंत्री कृषक दुर्घटना सहायता योजना’ के अन्तर्गत प्रदेश सरकार उसके परिवार को 3 लाख रुपये की आर्थिक सहायता देती है।
यह भी पढ़ें :
उत्तर प्रदेश सरकार गाय मुफ्त में दे रही और पालने के लिए पैसे भी
दुर्घटना में दोनों पैर, दोनों हाथ, दो आंख या किसी दो की क्षति होने पर 75 हजार रुपये, एक हाथ, एक पैर अथवा एक आंख की क्षति पर 40 हजार रुपये, चार उंगलियों की क्षति पर 30 हजार, तीन उंगलियों की क्षति पर 25 हजार, अंगूठे की क्षति पर 20 हजार रुपये, एक हाथ की दो उंगलियों की क्षति होने पर 15 हजार रुपये और किसी एक उंगली की क्षति होने पर 5 हजार रुपये प्रदेश सरकार द्वारा दुर्घटनाग्रस्त किसान/उसके परिवार को आर्थिक सहायता दी जाती है।
योजना का इतिहास
किसानों और सालाना 75 हजार रुपये से कम आय वाले परिवारों को सामाजिक सुरक्षा देने के लिए तत्कालीन अखिलेश यादव सरकार ने वर्ष 2016 में ‘समाजवादी किसान एवं सर्वहित बीमा योजना’ शुरू की थी। यह योजना पूर्व में संचालित कृषक दुर्घटना बीमा योजना के स्थान पर चालू की गई थी। योजना के तहत दुर्घटना के कारण मृत्यु और पूर्ण दिव्यांगता होने पर बीमा राशि के रूप में पांच लाख रुपये देने की व्यवस्था थी। दुर्घटना के बाद इलाज के लिए ढाई लाख रुपये तक की चिकित्सा सुविधा और जरूरत पडऩे पर एक लाख रुपये तक के कृत्रिम अंग उपलब्ध कराने का प्रावधान था।
यह भी पढ़ें :
अटल पेंशन योजना : बढ़ सकती है पेंशन व निवेश की उम्र सीमा
अखिलेश सरकार में योजना के संचालन की बागडोर संस्थागत वित्त विभाग को सौंपी गई थी। संस्थागत वित्त विभाग ने 14 सितंबर 2016 से 13 सितंबर 2018 तक योजना संचालित की। वर्ष २०१७ में सत्ता में आने पर योगी आदित्यनाथ सरकार ने योजना का नामकरण ‘मुख्यमंत्री किसान एवं सर्वहित बीमा योजना’ कर दिया। 14 सितंबर 2018 से राजस्व विभाग इस योजना को संचालित कर रहा था। 13 सितंबर 2019 को मियाद पूरी होने पर योजना खत्म हो गई।
पुराना नाम बदला, अब ‘मुख्यमंत्री कृषक दुर्घटना सहायता योजना’
‘मुख्यमंत्री किसान एवं सर्वहित बीमा योजना’ अब नये स्वरूप में सामने आयी है। नये संस्करण में योजना में बीमा कंपनियों का दखल खत्म कर उसे जिलाधिकारियों की देखरेख में संचालित किया जा रहा है। योजना का नाम बदल कर ‘मुख्यमंत्री कृषक दुर्घटना सहायता योजना’ कर दिया गया है।
अब जिलाधिकारी की देख-रेख में संचालित हो रही है योजना
शुरुआत में चार बीमा कंपनियां-नेशनल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड, ओरियंटल इंश्योरेंस, यूनाइटेड इंडिया एश्योरेंस और द न्यू इंडिया एश्योरेंस -योजना में शामिल हुईं। जब योजना राजस्व विभाग के अधीन आयी तो नेशनल इंश्योरेंस कंपनी ने उससे हाथ खींच लिये। दावों के निस्तारण में सुस्ती की शिकायतें शासन को लगातार मिल रही थीं। बड़ी संख्या में बीमा दावों को खारिज करने की शिकायतें भी आम थीं। इसलिए योजना को बीमा कंपनियों की बजाय जिलाधिकारियों की देख-रेख मे संचालित किया जा रहा है, ताकि पीडि़त पक्ष को बीमा लाभ जल्दी मिल सके। अब जिलाधिकारियों की निगरानी में मुआवजा बांटा जाएगा। दुर्घटना में मृत्यु होने पर चार लाख रुपये की रकम राज्य आपदा मोचक निधि से और एक लाख रुपये की रकम उसके अलावा देने का इरादा है।
यह भी पढ़ें :
प्रधानमंत्री विद्यालक्ष्मी योजना का लाभ कैसे उठायें?
हादसे में घायल होने पर इलाज आयुष्मान भारत योजना में
इस योजना के चालू होने के बाद वर्ष 2018 में ‘आयुष्मान भारत’ योजना शुरू हुई जिसके तहत गरीब परिवारों को पांच लाख रुपये तक के मुफ्त इलाज की सुविधा है। इसलिए नए स्वरूप में प्रस्तावित इस योजना के तहत इलाज की सुविधा खत्म कर दी गयी है।
योग्यता मापदंड (Eligibility Criteria)
आयु सीमा
इस योजना का लाभ 18 से 70 साल तक की उम्र के बीच में आने वाले परिवार के मुखिया को दिया जायेगा, चाहे वह पुरुष हो या महिला दोनों में से किसी को भी इसका लाभ प्रदान किया जा सकता है।
यह भी पढ़ें :
सुकन्या समृद्धि के नियम में बदलाव, मैच्योरिटी पर मिलेंगे 73 लाख रुपये
आवासीय योग्यता
इस योजना में दी जाने वाली बीमा की राशि प्राप्त करने के लिए आवेदक का उत्तरप्रदेश का निवासी होना जरूरी है।
आय योग्यता
योजना में जिस व्यक्ति को बीमा प्रदान किया जाना है, उसके परिवार की सभी स्त्रोतों से वार्षिक परिवारिक आय 75,000 रूपये से कम होनी चाहिए।
खतौनी में खाता
खतौनी, कृषि से सम्बंधित कानूनी दस्तावेज (खसरा) है जो कि परिवार या एकल परिवार के मुखिया के अधिकार में होने वाले कुल गाँव की भूमि की सूची है। इसमें आवेदकों का खाताधारक (अकाउंट होल्डर) या सह-खाताधारक (को – अकाउंट होल्डर) के रूप में रजिस्टर्ड होना आवश्यक है।
आवश्यक दस्तावेज (Required Documents)
इस योजना में आवेदकों को फॉर्म के साथ कुछ व्यक्तिगत दस्तावेज जैसे परिवार के मुखिया का आयु प्रमाण पत्र, आय प्रमाण पत्र, खसरा खतौनी प्रमाण पत्र, मृत्यु होने पर मृत्यु प्रमाण पत्र, भर्ती होने पर डॉक्टर का प्रमाण, मेडिकल से जुड़े बिल, बैंक बचत खाते की जानकारी एवं बैंक का आईएफएससी कोड आदि देना आवश्यक है।
यह भी पढ़ें :
इस खास स्कीम में हर माह लगाएं ₹200, पेंशन 72000 मिलेगी
खेती सम्बन्धी कार्य करते हुए कोई हादसा होने पर किसान, कृषि मजदूर एवं मण्डी पल्लेदारों या उनके परिवार द्वारा सहायता राशि प्राप्त करने के लिए मण्डी परिषद उत्तर प्रदेश की आधिकारिक वेबसाइट http://upmandiparishad.upsdc.gov.in/welfare_scheme.html पर विजिट करना चाहिए।
योजना की जानकारी पाने के लिए मुख्यमंत्री कृषक दुर्घटना सहायता योजना के विवरण वाले लिंक पर क्लिक करें।
सहायता राशि पाने के लिए ‘क्लेम फॉर्म’ भरना होगा।यह ‘क्लेम फॉर्म’ पाने के लिए http://upmandiparishad.upsdc.gov.in/images/pdf_files/AccidentHelpScheme.pdf पर क्लिक कर डाउनलोड करें।
इसमें अलग-अलग पृष्ठ पर दिये गये क्लेम फॉर्म में से अलग–अलग स्थिति के अनुसार फॉर्म भर कर मंडी परिषद में जमा कर क्लेम किया जा सकता है।
सबसे जरूरी बात :
योजना के तहत सहायता पाने के लिए जरूरी है कि कृषि कार्य करते हुए मृत्यु होने की दशा में पोस्टमार्टम जरूर कराया जाये। इसके अभाव में क्लेम फार्म स्वीकार नहीं किये जायेंगे।
यह भी पढ़ें :
सुकन्या समृद्धि योजना : बेटी के लिए सबसे अच्छा निवेश
डिस्क्लेमर :
निराश्रित दिव्यांगजन के भरण-पोषण हेतु अनुदान (दिव्यांग पेंशन) योजना की जानकारी उत्तर प्रदेश सरकार मण्डी परिषद की वेबसाइट से जुटाई गयी है। सामाजिक पेंशन योजनाओं के सुचारु एवं पारदर्शी संचालन के लिए यह पोर्टल तैयार किया गया है। योजना के बारे में अधिक जानकारी के लिए यहां क्लिक करें। इस योजना की जानकारी मौजूदा नियमों के हिसाब से है, इसमें किसी बदलाव के लिए Yojanagyan.com की जिम्मेदारी नहीं है।
शेयर करें
यदि आपको यह आलेख पसन्द आया हो और लगता है कि आपके अन्य दोस्तों को भी इस जानकारी से फायदा हो सकता है, उनकी जिन्दगी भी बदल सकती है (जिसके वे पूरे हकदार हैं) तो आप YojanaGyan.com की इस खबर का लिंक उनसे भी शेयर करें।
अशोक कुमार सिंह एक अनुभवी पत्रकार, लेखक, फोटोग्राफर हैं। कई दशकों तक हिन्दी के कई प्रतिष्ठित अखबारों में संवाद लेखन और सम्पादन का कार्य करने के बाद अब Freelance Content Writer के रूप में कार्य कर रहे हैं।