पीएफ की तरह ट्रांसफर होगी ग्रेच्युटी (Gratuity)! विचार शुरू

Gratuity Transfer : नौकरी करने वाले लोगों को मोदी सरकार एक और राहत देने की तैयारी कर रही है। कंपनी बदलने पर पीएफ की तरह ग्रेच्युटी ट्रांसफर का भी मौका मिल सकता है।

केन्द्र सरकार पीएफ व ग्रेच्युटी सहित श्रमिक हित में कई फैसले करने जा रही है।
केन्द्र सरकार पीएफ व ग्रेच्युटी सहित श्रमिक हित में कई फैसले करने जा रही है।

खास बातें

  • ग्रेच्युटी मिलने के लिए न्यूनतम समय एक साल तय होगा
  • प्रस्तावित श्रम कोड में वर्तमान के 5 साल की स्थिति की जगह 1 साल सर्विस पूरी होने पर ग्रेच्युटी का प्रावधान है
  • अब कंपनी बदलने पर पीएफ की तरह ग्रेच्युटी ट्रांसफर करने का भी मौका मिल सकता है

लोग किसी न किसी वजह से अपने जीवन में कई बार नौकरियां बदल लेते हैं। खासकर प्राइवेट सेक्टर में देखने को मिलता है कि कोई व्यक्ति आज इस कंपनी में काम कर रहा है तो कुछ दिनों या कुछ वर्षों के बाद दूसरी कंपनी या संस्थान में नजर आता है। ऐसे में उस व्यक्ति के संस्थान बदलने के साथ उसका पीएफ भी ट्रांसफर होता रहता है, लेकिन ग्रेच्युटी की राशि ट्रांसफर नहीं होती है, लेकिन अब कंपनी बदलने पर पीएफ की तरह ग्रेच्युटी ट्रांसफर का भी मौका मिल सकता है।

कोरोना के देशव्यापी प्रभावों से निपटने के लिए केन्द्र सरकार ने अर्थव्यवस्था को मंदी से निकालने के लिए 20 लाख करोड़ रुपये की मदद की घोषणा की। बताया गया कि इससे उद्योगों के सामने उपस्थित नगदी का संकट खत्म हो जायेगा। मांग लगभग पूरी तरह खत्म हो जाने जैसी स्थिति से उबरने में मदद मिलेगी। मांग, उत्पादन और आपूर्ति के पहिये को फिर से पूरी रफ्तार से चलाने में इस पैकेज से मदद मिलेगी।

पैकेज से दूर होगी उद्योगों की बदहाली

इस पैकेज से सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योगों को आर्थिक बदहाली से बचाने में मदद मिलेगी। साथ ही, किसानों और बड़े-बड़े शहरों या उत्पादन केन्द्रों से अपने घर लौट रहे प्रवासी कामगारों व श्रमिकों के लिए आजीविका के साधन भी जुटाये जा सकेंगे। कुल मिलाकर आत्मनिर्भर अर्थव्यवस्था के विचार को एक मजबूत सहारा मिलेगा।

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा घोषित 20 लाख करोड़ रुपये के आर्थिक पैकेज के बारे में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कई दिनों तक लगातार प्रेस कान्फ्रेंस की थी। पैकेज के बारे में विस्तार से बताते हुए वित्त मंत्री ने कहा था कि केंद्र सरकार जल्दी की श्रम कानून में सुधार करेगी। इसके तहत ग्रेच्युटी मिलने के लिए न्यूनतम समय एक साल तय होगा। वर्तमान में यह पांच साल है।

पांच साल की बजाय एक साल पर ग्रेच्युटी

प्रस्तावित श्रम कोड में वर्तमान के 5 साल की स्थिति की जगह 1 साल सर्विस पूरी होने पर ग्रेच्युटी का प्रावधान किया गया है। इसके लागू होने पर इससे उन कर्मचारियों को फायदा होगा जो किसी कंपनी में 5 साल तक नौकरी करने से पहले ही छोड़ देते हैं। उन्हें नौकरी से निकाल दी जाती है। कानून में संशोधन होने के बाद किसी भी व्यक्ति ने किसी कंपनी में एक साल तक भी नौकरी की तो उसे ग्रेच्युटी का लाभ मिलेगा।

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इसमें यह भी प्रावधान किया गया है कि आपको ग्रेच्युटी के लिए कंपनी के चक्कर नहीं लगाने पड़ेंगे। एक कंपनी को छोड़कर दूसरी कंपनी में ज्वाइन करने पर जिस तरह प्रॉविडेण्ट फण्ड (पीएफ) का पैसा उस कंपनी ट्रांसफर हो जाता है। उसी तरह ग्रेच्युटी का पैसा भी ट्रांसफर हो जाएगा।

ग्रेच्युटी ट्रांसफर के प्रस्ताव पर विचार शुरू

सूत्रों के मुताबिक वित्त मंत्री की इस घोषणा के बाद, श्रम मंत्रालय ने अब नौकरियों में फेरबदल पर ग्रेच्युटी को भी ट्रांसफर करने के प्रस्ताव पर विचार करना शुरू कर दिया है। अथॉरिटी के एक अधिकारी के मुताबिक ग्रेच्युटी के मौजूदा व्यवस्था को बदलने की तैयारी की जा रही है।

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इसमें भविष्य निधि की तरह, ग्रेच्युटी योगदान का प्रस्ताव प्रत्येक महीने के बारे में सोचा जा रहा है। इसके अलावा, ग्रेच्युटी को कानूनी रूप से सीटीसी का एक हिस्सा होने का प्रस्ताव दिया जा सकता है। श्रम मंत्रालय ने प्रस्ताव पर काम शुरू कर दिया है।

पीएफ ट्रस्ट के तहत आयेगी ग्रेच्युटी!

एम्प्लॉयर एसोसिएशन के साथ एक मीटिंग में इसका उल्लेख किया गया था। यह पीएफ ट्रस्ट के तहत ग्रेच्युटी ले जाने के लिए निर्धारित किया जा सकता है। ग्रेच्युटी प्राप्त करने का न्यूनतम समय एक वर्ष के लिए रखा जाएगा। अभी सिर्फ अस्थायी कर्मचारियों के लिए 1 साल की घोषणा की गई है। नये स्ट्रक्चर से कंपनियों को टैक्स बेनिफिट्स मिल सकते हैं। मासिक योगदान से कंपनियों को एक मुश्त राशि देने की जरूरत नहीं होगी।

अभी कब मिलती है ग्रेच्युटी

किसी भी कंपनी में एक तय समय तक काम करने वाले कर्मचारियों की ग्रेच्युटी दी जाती है। मौजूदा नियमों के मुताबिक, ग्रेच्युटी का हकदार होने के लिए कर्मचारी को कम से कम 5 साल तक एक ही कंपनी में काम करना होता है।

मीडिया रिपोर्ट्स में इसी समयसीमा को 5 साल से घटाकर 1 साल करने की बात हो रही है। ग्रेच्युटी एक्ट के मुताबिक, जिस कंपनी में 10 या उससे अधिक कर्मचारी होते हैं, उस कंपनी के कर्मचारियों को ग्रेच्युटी का लाभ मिलता है। ग्रेच्युटी का भुगतान कंपनी ही करती है।

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किसी भी कर्मचारी को मिलने वाली ग्रेच्युटी प्रमुख तौर पर दो बातों पर निर्भर करती है। पहली तो यह कि उस कर्मचारी ने कितने साल तक काम किया है। …और दूसरी यह कि उसके अंतिम वेतन में मूल वेतन और महंगाई भत्ता कितना है।

डिस्क्लेमर: 
पीएम-किसान योजना की जानकारी सरकारी स्रोतों से जुटाई गयी है। इस योजना की जानकारी मौजूदा चर्चाओं और प्रस्तावों के हिसाब से है, इसमें किसी बदलाव के लिए Yojanagyan.com की जिम्मेदारी नहीं है।

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